20 Part
384 times read
18 Liked
"जीवन की नदी" जीवन की इस नदी में मैं, अविरल यूं हीं बहती चलूं न रुकूं कहीं न थकूं कहीं एक नदी के जैसे मैं उन्मुक्त सी चलती चलूं न डरूं ...